रात का अंतिम यात्री

रात का अंतिम यात्री एक समय की बात है कि राजनगर स्टेशन हमेशा की तरह वीरान था। सर्दियों की वो […]

रात का अंतिम यात्री एक समय की बात है कि राजनगर स्टेशन हमेशा की तरह वीरान था। सर्दियों की वो रात कुछ ज़्यादा ही रहस्यमयी थी — चारों ओर घना कोहरा, और बस एक टिमटिमाती लालटेन।

चौकीदार रामू अपनी ड्यूटी पर था।रात के बारह बजे, आख़िरी ट्रेन धीरे-धीरे स्टेशन पर रुकी। ट्रेन लगभग खाली थी। तभी एक अजनबी उतरा — काले कोट, लंबी टोपी और हाथ में पुराना सूटकेस लिए। उसकी आँखों में अजीब सी चमक थी।

रामू ने झिझकते हुए पूछा, “बाबूजी, इतनी रात गए कौन उतरता है? आगे तो कुछ नहीं, बस जंगल और पुराना कब्रिस्तान है।”अजनबी हल्की मुस्कान के साथ बोला, “मुझे वहीं जाना है… वहाँ कोई मेरा इंतज़ार कर रहा है।”रामू को उसकी आवाज़ ठंडी हवा जैसी लगी। उसने ध्यान से देखा — अजनबी के पैरों के निशान धुएँ में बदल रहे थे! रामू के रोंगटे खड़े हो गए। वह बोला, “लेकिन बाबूजी, वहाँ तो कोई नहीं रहता…”अजनबी ने पीछे मुड़कर कहा, “मैं वहीं का हूँ…”और फिर वह धुंध में गुम हो गया।अगली सुबह रामू ने स्टेशन मास्टर को पूरी बात बताई।

मास्टर ने घबराकर कहा, “वो नाम फिर से मत लेना! पचास साल पहले हमारे स्टेशन के इंजीनियर विजयनाथ शर्मा का इसी जगह पर एक्सीडेंट हुआ था। वो उसी पुल का काम देख रहे थे जो कब्रिस्तान के पास था… उनका शव कभी नहीं मिला।”रामू ने डरते हुए पूछा, “क्या वो… वही हो सकता है?”मास्टर ने गंभीर चेहरा बनाकर कहा, “शायद… लेकिन तुम उस तरफ मत जाना।”पर जिज्ञासा के आगे डर टिक नहीं पाया। रात को रामू लालटेन लेकर उस दिशा में चल पड़ा — वही जंगल, वही रास्ता। कई मिनट चलने के बाद उसे पुराना कब्रिस्तान दिखा। बीच में एक टूटी हुई कब्र पर ताज़े फूल रखे थे।

रामू पास गया और देखा — कब्र के पत्थर पर खुदा था नाम: “विजयनाथ शर्मा (1973)”अचानक ठंडी हवा का झोंका चला, और किसी ने फुसफुसाकर कहा — “धन्यवाद… इतने साल बाद किसी ने मुझे याद किया…”रामू ने पीछे मुड़कर देखा — वही अजनबी उसके सामने खड़ा था, चेहरे पर हल्की मुस्कान और आँखों में शांति। वह बोला, “अब मैं मुक्त हूँ…”इसके बाद लालटेन बुझ गई। सुबह जब लोग स्टेशन पहुँचे, तो नy रामू था, न उसकी लालटेन।

लेकिन कहते हैं — हर रात के बारह बजे जब आख़िरी ट्रेन राजनगर स्टेशन पर रुकती है, तो धुंध के बीच दो साए दिखाई देते हैं — एक के हाथ में लालटेन, और दूसरे के हाथ में पुराना सूटकेस…

🕯️ समाप्त 🕯️

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

रात का अंतिम यात्री