साधना की कहानी हिंदी
शहर के धनवान व्यापारी रामेश्वर जी के घर में शादी की रौनक बस देखते ही बनती थी क्योंकि दो दिन बाद उनके इकलौते बेटे राजेश की शादी होने वाली थी। पूरे घर को भी एकदम दुल्हन की तरह सजाया गया था। घर में मेहमानों का आना शुरू हो गया था, जिससे पूरा घर मेहमानों से भर गया था। प्रतिभा जी यानी कि राजेश की मां की खुशी तो बस देखते ही बनती थी। वे अपनी उम्र को भूलकर इधर से उधर घूमती फिर रही थी और हर एक मेहमान का ध्यान रख रही थी।
रामेश्वर जी की भी खुशी प्रतिभा जी की खुशी से कम नहीं थी। यूं तो अपने इकलौते बेटे की शादी में हर माता पिता खुश ही होते हैं लेकिन यहां बात कुछ और भी थी। उनके बेटे राजेश की शादी काफी बड़ी उम्र में हो रही थी। चालीस साल की उम्र में राजेश को बीस साल की लड़की मिल रही थी, यह उनके लिए बड़ी ही खुशी की बात थी।
दरअसल राजेश बहुत मन्नतों से पैदा हुआ था और इकलौता होने के कारण वह बचपन से ही लाड प्यार से एकदम बिगड़ गया था। उसकी दादी मां तो उस पर जान छिड़कती थी और हर बात में उसका सपोर्ट करती थी। इसीलिए दादी की शह में वह और भी ज्यादा बिगड़ने लगा था।
घर के अनावश्यक लाड प्यार और पैसे की गर्मी ने उसका दिमाग खराब कर दिया था और वह बदतमीज और बद् दीमाग हो गया था। पढ़ाई में तो वह बहुत ही ज्यादा फिसड्डी था लेकिन पैसे के दम पर कॉलेज की डिग्री जरुर हासिल कर ली थी। इसी तरह दिन पर दिन वह बस बिगडता ही जा रहा था। दुनियां भर के हर गलत शोक थे उसे। आए दिन उसके लड़ाई झगडे होते रहते थे। यहां तक कि उस पर एक मर्डर का केस भी चल रहा था।
उसकी इसी बदनामी के कारण, उसे कोई भी लड़की नहीं मिल रही थी और उम्र ऐसे ही बढ़ती जा रही थी। फिर जैसे तैसे, राजेश से बीस साल छोटी लड़की साधना से उसका रिश्ता तय हुआ। पास के ही शहर में अपनी नानी के साथ रहने वाली गरीब साधना एक सीधी साधी घरेलू लड़की थी। दरअसल साधना के माता पिता नहीं थे इसलिए वह अपनी नानी के पास रहती थी, लेकिन नानी की भी उम्र के कारण वह चाहती थी कि जल्दी से जल्दी साधना की शादी हो जाए और वह अपने घर की हो जाए।
जैसे ही रामेश्वर जी को उनकी मजबूरी के बारे में जानकारी हुई, उन्होंने तुरंत ही उसकी नानी से उसका हाथ मांग लिया। साधना की नानी ने भी तुरंत हां कर दी और इस तरह यह बेमेल रिश्ता तय हो गया।
साधना को यह शादी बिल्कुल भी नहीं करनी थी । उसे किसी से राजेश के कारनामों का भी पता चला था। वह बिल्कुल भी एक गुनहगार से शादी नहीं करना चाहती थी। लेकिन उसकी एक ना चली और उसे शादी के लिए तैयार होना पड़ा।
हल्दी वाले दिन, साधना महिलाओं से घिरी बैठी थी। घर के आंगन में उसे हल्दी लगाई जा रही थी और गाने बजाने भी हो रहे थे। सब महिलाएं उसे हल्दी लगा रही थी। अचानक साधना कोई बहाना बनाकर वहां से उठ कर घर के अंदर आ जाती है। और यहां सभी महिलाएं खाने पीने और बातचीत में व्यस्त हो जाती है।
इधर राजेश को भी हल्दी लगाई जा रही थी। आज भी वह नशे में चूर हीं था।
हल्दी लगवाते हुए राजेश की नजर सामने खड़ी एक लड़की पर पड़ती है, जिसके पूरे शरीर पर हल्दी लगी होती है। वह लड़की राजेश की ओर देखकर मुस्कुरा रही होती हैं। और उसे इशारे से अपने पास बुला रही होती हैं। हल्दी के कारण राजेश को उस लड़की का चेहरा एकदम साफ तो नहीं दिख रहा था लेकिन उसे लगा कि जैसे वो उसकी होने वाली पत्नी साधना है। अपनी मां को बताने के लिए राजेश ने इधर उधर देखा उतनी देर में वह लड़की वहां से चली गई। राजेश ने अपनी मां को बुलाया और कहा कि उसने अभी अभी साधना को यहां देखा हैं। तो उसकी मां उसे कहती हैं कि, तुम शराब पिए हो। साधना अभी कैसे यहां हो सकती है, वो लोग तो वैसे भी कल गांव से निकलने वाले हैं, जरुर तुम्हें कोई गलतफहमी हुई होगी। तो राजेश को भी फिर ऐसा ही लगता है कि शायद उसे गलतफहमी ही हुई होगी। लेकिन उसके बाद भी वह हल्दी लगी हुई लड़की उसे कई बार अलग अलग जगहों पर दिखाई देती है। यह बात पता चलते ही घर की सभी भाभियां और बहनें राजेश को चिढ़ाने लगी कि उसे तो हर जगह बस साधना ही नजर आ रही है।
उन सभी से बचकर राजेश अपने कमरे में आ जाता है और सिगरेट सुलगा कर पीने लगता है।
तभी उसे ऐसा लगा कि कमरें में कोई पायल पहनकर चहलकदमी कर रहा है, उसने इधर उधर नजर घुमाकर देखा लेकिन उसे कोई भी दिखाई नहीं दिया। लेकिन आवाज एकदम स्पष्ट थी। उसने फिर से एक बार कमरे को अच्छी तरह से देखा तो एक कोने में दिवार की ओर मुंह करके जमीन पर एक लड़की बैठी थी।
” कौन हो तुम? यहां मेरे कमरे में क्या कर रही हो?”
राजेश ने उसे आवाज देते हुए कहा। उस लड़की के शरीर पर भी हल्दी लगी हुई थी तो वह समझ गया कि यह वही लड़की थी जो उसे बाहर बार बार दिखाई दे रही थी।
राजेश की आवाज सुनकर उस लड़की ने राजेश की ओर पलट कर देखा और मुस्कुराई। और फिर से दिवार की ओर देखने लगी। वह अभी भी साफ साफ पहचान में नहीं आ रही थी, लेकिन राजेश को यह जरूर लग रहा था कि वह साधना ही है। उसने जानने की गरज से उसे फिर से पूछा,
- ” एक्सक्यूज मी, तुम साधना हो क्या?”
राजेश ने दो तीन बार और पूछा लेकिन कोई जवाब नहीं आया तो वही धीरे धीरे चलकर उस लड़की के पास आया और उसके कंधे पर थपथपाते हुए जरा गुस्सा दिखाते हुए उससे पूछा,
” हेलो, मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूं, तुम कोई जवाब क्यों नहीं दे रही हो? कौन हो तुम?
तभी अचानक लाइट चली गई। वैसे तो यहां कभी लाइट जाती नहीं थी, लेकिन आज शायद किसी फॉल्ट के कारण चली गई हो। कमरे में घुप्प अंधेरा हो जाता है। राजेश ने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और उसकी टॉर्च ऑन की। उसने टॉर्च की लाइट वह लड़की बैठी थी उस तरफ की तो वह वहां पर नहीं थी, उसने पूरे कमरे में टॉर्च घुमाकर देखा तो वह लड़की कमरे की खिड़की के बाहर, कांच से चिपककर खड़ी थी, और अंदर ही देख रही थी। जबकि यह थर्ड फ्लोर था। राजेश ने टॉर्च लड़की के मुंह पर किया तो उसकी चीख ही निकल गई। उस लड़की के बाल हवा में उड़ रहे थे और उसका भयानक चेहरा अब पूरी तरह साफ दिखाई दे रहा था। वह साधना ही थी, लेकिन अब धीरे धीरे उसका रुप बदलता जा रहा था, उसकी आंखों की जगह गड्ढे आ गए थे और चेहरे पर नाक भी नहीं थी। मुंह की जगह भी बड़ा सा गड्ढा था। जिसमें से खून निकल रहा था। वह अपने गले हुए हाथ से राजेश को अपने पास बुला रही थी और जोर जोर से विभत्स तरीके से हंसती जा रही थी। बीच बीच में वह गुर्राने जैसी आवाजें भी निकाल रही थी। राजेश भी एक मशीन की तरह उसके पास जा रहा था, और जब वह उस लड़की के एकदम पास पहुंच गया तो लड़की ने हाथ से कांच को तोड़ दिया और खून से सना हुआ हाथ बढ़ाकर राजेश को खिंच लिया और खिड़की से नीचे फेंक दिया राजेश ने नीचे गिरते ही दम तोड दिया। साधना जोर जोर से हंसने लगी।
यहां साधना के घर पर उसकी नानी उसकी लाश के पास बैठकर रो रही थी। हल्दी के समय साधना जब घर के अंदर आई थी तभी उसने आत्महत्या कर ली थी। और भूत बनकर राजेश को मारने आई थी।