विक्षिप्त की कहानी हिंदी


विक्षिप्त की कहानी हिंदी

“अरे साहब, वह फ्लैट तो कई सालों से बंद है, कोई नहीं रहता है वहां पर”

एक युवक की अपनी सोसायटी के सेक्रेटरी के साथ बहस चल रही थी।

देखते हैं कि, हमारी कहानी का इस बहस से क्या संबंध है देखते हैं।

 ये कहानी है, मीना और राखी की। ये दोनों दोनों एक ही बिल्डिंग में अलग अलग फ्लोर पर रहती थी। मीना सेकंड फ्लोर पर तो राखी एक दम उपर के फ्लोर यानी बीसवें फ्लोर पर रहती थी।

मीना को इस बिल्डिंग में शिफ्ट हुए बस एक ही महिना हुआ था। लेकिन राखी करीब पांच साल से इसी बिल्डिंग में रहती थी। राखी की शादी को सात साल हो गए थे लेकिन उसे अभी कोई बच्चे नहीं थे। उसके घर में बस वो और उसका पति दीपक दोनों अकेले ही रहते थे।  मीना अपने पति और तीन साल के बेटे आर्यन के साथ रहती थी।

मीना और राखी दोनों एक ही उम्र की थी। उनकी जान पहचान कुछ इस तरह हुई थी कि, एक दिन मीना, रोज की तरह ही आर्यन को लेकर नीचे गार्डन में गई थी। उसे यहां शिफ्ट हुए बस दो ही दिन हुए थे। पति के जॉब के कारण, वो, छोटे शहर से यहां, मुंबई में रहने आई थी। लेकिन उसे मेट्रो सीटी का कल्चर ज्यादा समझ में नहीं आता था। यहां सभी बहुत व्यस्त रहते थे और कोई किसी से बिना वजह ज्यादा बात भी नहीं करता था। इसके पहले भी वे जिस बिल्डिंग में रहते थे, वहां भी ऐसा ही था। उसे सबसे बातें करने और मिलने जुलने की बहुत आदत थी तो उसे मुंबई में ज्यादा अच्छा नहीं लगता था। “आज भी कितने कम लोग हैं, पता नहीं यहां के लोग कहां इतना बीजी रहते हैं।”

वह गार्डन की एक बेंच पर बैठी, मन ही मन सोच रही थी कि तभी वहां पर एक विक्षिप्त सी, तीस पैंतीस साल की महिला भागकर आती है। वह दिख तो अच्छे परिवार की रही थी लेकिन थोड़ी सी अस्त व्यस्त सी थी। वह महिला भागते हुए आकर, मीना के ठीक सामने आकर रुकती और मीना की बगल की खाली जगह की ओर उंगली से इशारा करके, मीना को देखकर आवेश में जोर जोर से बड़बड़ाने लगती है,

” इससे दूर रहना तुम, समझी इससे दूर ही रहना , इसी में तुम्हारी भलाई है, ये मेरी तरह तुम्हें भी बर्बाद कर देगी, मैं तुम्हें चेता रही हूं। ये तुम्हें भी बर्बाद कर देगी।”

तभी वहां एक लड़की भागकर आती है और उस महिला को पकड़ लेती है।

” अरे भाभी, आप फिर भागकर आ गई। आपको कहा था ना कि मैं मुन्ना को देखकर आ रही हूं, आप दो मिनट यही रुकना, फिर भी आप यहां चली आई”

वह लडकी उस महिला की केयर टेकर थी। महिला से इतना कहकर, वह घबराई हुई मीना की ओर देखते हुए बोली,

” सॉरी भाभी, इनकी दिमागी हालत जरा ठीक नहीं है। लेकिन आप बिल्कुल मत डरिए, ये किसी को कुछ नहीं करती है,  कभी कभी इन्हें कुछ हो जाता है तो ये ऐसे चिल्लाने लगती है।”

मीना एकदम मूर्ति बनकर बैठी हुई थी। उसके लिए यह सब बिल्कुल ही अप्रत्याशित था। कुछ देर के लिए तो वह अपने होशोहवास ही खो बैठी थी।

” आप यहां नई आई है?

तभी उसे अपनी बगल से आवाज आई। वो अपने ख्यालों में इतनी खोई हुई थी कि उसे पता ही नहीं चला कि उसके बाजु में कोई आकर बैठा है। वह मीना की ही हमउम्र एक लेडी थी। यानी राखी थी।

” हं”  उसने संक्षिप्त सा जवाब दिया।

” उस लेडी को देखकर आप घबरा गई है ना, लेकिन आप बिल्कुल मत डरिए। वह बहुत ही अच्छी लेडी है। इसका नाम सीमा है। एक समय मेरी बहुत अच्छी फ्रेंड भी थी, लेकिन पता नहीं बेचारी के साथ ऐसा क्या हुआ कि वो अचानक ही ऐसी हो गई। मुझे तो उसके पति पर ही शक है कि उसी ने इसकी ये हालत की होगी।, बड़ा ही नीच आदमी है वो। कभी कभी तो मन भर आता है सीमा की ये हालत देखकर, वो तो सब कुछ भूल गई है, मुझे भी। बस अपना बच्चा ही उसे याद हैं।”

ये कहकर राखी फूट फूटकर रोने लगी।

” अरे अरे आप रोइए नही, देखना सब ठीक हो जाएगा। और फिर उनका इलाज तो चल ही रहा होगा ना।”

मीना ने राखी को चुप कराते हुए कहा।

” नहीं, मुझे तो नहीं लगता है कि इसका इलाज भी करवा रहा होगा वो ज़ालिम, मतलब इसका पति।”

राखी ने आह भरते हुए कहा।

” मतलब, इसका पति अच्छा नहीं है क्या?” मीना को अब इन बातों में मजा आ रहा था।

” अरे कितने बज गए हैं, सात बज गए क्या?

तभी राखी को को कुछ याद आता है और वो एकदम उठकर खड़ी हो जाती है और मीना से टाईम पुछती है।

” नहीं, अभी सात बजने में आठ मिनट बाकी है। “

मीना ने मोबाइल में टाईम देखते हुए कहा।

“देखो तो आज ही जल्दी जल्दी में मैं अपना मोबाइल नहीं लेकर आई , इनका फोन आने वाला था सात बजे, मैं चलती हूं, इंटरनेशनल कॉल है, मिस हो जाएगी तो मुश्किल हो जाएगी। हम कल शाम को छह बजे यहीं पर मिलते हैं, बाय द वे मेरा नाम राखी है और मैं बीसवें फ्लोर पर रहती हूं।”

और इतना कह कर राखी दौड़कर वहां से चली गई।

मीना को अब सीमा के बारे में जानने की बहुत इच्छा हो रही थी। लेकिन कल तक का इंतजार करने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं था। खैर जैसे तैसे दूसरा दिन भी बिता और शाम को वह अकेली ही नीचे उतर गई। आज उसका पति सोम, उसके बेटे को लेकर बाहर गया था। 

उसे ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा और थोड़ी ही देर में राखी आ गई।

” आप कल सीमा के पति के बारे में बता रही थी ना, क्या हुआ था?  मीना ने उत्सुकता से पूछा।

” अरे कुछ नहीं बस वह सीमा को दहेज के लिए परेशान करता था, इतना पैसा था उसके पास लेकिन फिर भी वह सीमा से मायके से पैसा मंगवाता था। ना कहने पर मारपीट करता था। बस उसी से परेशान रहती थी वो। खैर छोड़ो, तुम अपने बारे में बताओ, मैं तो तुम्हारा नाम तक नहीं जानती हूं।”

” मेरा नाम मीना है।” मीना ने कहा।

 ” अच्छा मीना। तुमसे मिलकर बहुत खुशी हुई। सीमा ही मेरी एक दोस्त थी यहां पर, उसके अलावा मुझे यहां पर किसी से भी बात करने की इच्छा नहीं होती है। तुम्हें देखा तो, तुममें मुझे सीमा की झलक दिखाई दी।”

राखी की आंखों में आंसू भर आए।

” अरे ये क्या आप तो फिर से रोने लगी। अब से मैं हूं ना, मुझे ही आप सीमा समझ लिजिए। “

मीना ने प्यार से कहा तो राखी के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

” अच्छा मीना, तुम्हें मोमोज पसंद है क्या, मैंने आज बनाएं है, चलो मैं तुम्हें खिलाती हूं।  “

मीना को मोमोज बहुत पसंद थे तो वह राखी के साथ उसके घर चली आई।

” आपका घर तो बहुत ज्यादा सुन्दर है। बहुत अच्छा सजाया है आपने।”

” अच्छा, और ये पोर्शन कैसा लगा तुम्हें?”

एक दीवार पर लगे बड़े बड़े फोटोस की ओर इशारा करते हुए राखी ने कहा तो मीना के पैरों तले की जमीन ही निकल गई। उन सभी फोटस पर हार चढ़े हुए थे, और उनमें एक फोटो राखी की भी थी। मीना ने पीछे खडी राखी की ओर मुड़कर देखा तो, राखी का रुप एकदम से बदल गया था। उसके बाल बिखर गए थे और हवा में उड़ रहे थे। उसकी आंखों पूरी सफेद थी। और चेहरे के हाव भाव भी एकदम बदल गए थे। इस समय वो बेहद डरावनी लग रही थी। मीना ने वहां से भागना चाहा लेकिन जोर जोर से हंसती हुई राखी ने उसका रास्ता रोक दिया। उसे बहुत देर तक यूं ही डराने के बाद राखी ने उसे जाने दिया और जोर जोर से हंसने लगी। पूरे कमरे में उसकी डरावनी हंसी गूंज रही थी। दरअसल राखी एक प्रेतात्मा थी, जिसने कुछ साल पहले ही, पति के अत्याचारों से तंग आकर आत्महत्या की थी। तब से ही यह फ्लैट बंद ही था।

मीना वहां से भागकर तो आ गई, लेकिन उसकी हालत भी सीमा जैसी हो गई थी। नीचे सीमा उसे देखकर विचित्र तरीके से मुस्कुरा रही थी।

वह युवक मीना का पति ही था, मीना ने उसे राखी के बारे में बताया था। वह जानना चाहता था कि मीना कल रात को नींद में भी जिसका नाम बार बार ले रही थी, कहीं उस राखी का मीना की विक्षिप्त हालत से कोई संबंध तो नहीं है।


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