पार्टी की कहानी हिंदी
रवी एक बड़ी कंपनी में काम करता था। दिल्ली से उसका ट्रांसफर मुंबई हुआ तो उसने अपनी पत्नी को भी घर का चुनाव करने के लिए बुला लिया। उन्हें यहां एक सोसायटी के बारे में पता चला जो कि खूब अच्छी थी और रवी के अॉफिस के पास ही थी। इस सोसाइटी में बहुत सारी विंग्स थी। ब्रोकर के थ्रू वे इस सोसायटी में घर देखने गए। उन्हें एक विंग के सत्रहवे फ्लोर पर जाना था। वे लिफ्ट से वहां पहुंचते हैं। ब्रोकर उनका पहले से ही इंतजार कर रहा था। फ्लेट खूब बड़ा नहीं था, लेकिन उन दोनों के लिए काफी था। फ्लेट में धूल बहुत ज्यादा थी, ऐसा लग रहा था कि कई सालों से यहां कोई नहीं रहता था। दीपा को फ्लेट बहुत अच्छा लगा। उस फ्लेट की बाल्कनी से एकदम सामने की विंग के फ्लेट की बाल्कनी साफ दिखती थी। दोनों विंग एकदम पास पास थी। इसलिए बाल्कनी का दरवाजा खुला हो तो सामने वाले फ्लैट के अंदर तक देखा जा सकता था। अभी फिलहाल तो वह सामने वाला फ्लेट भी बंद ही था। दीपा ने जैसे ही बाल्कनी का दरवाजा खोला, बर्फ सी थंडी हवा का एक झोंका अंदर आया।
दोनों को ही यह फ्लेट हर तरह से अच्छा लगा और उन्होंने तुरंत ही इसे फायनल भी कर दिया।
अब दीपा को जल्द से जल्द इस फ्लेट में आने की इच्छा थी। सो वे एक दो दिन में ही शिफ्ट हो गए और देखते ही देखते उन्हें यहां आकर दो हफ्ते भी हो गए। उनके सामने वाले फ्लैट में अभी भी कोई रहता नहीं था। दीपा का स्वभाव बहुत मिलनसार और बातुनी था। इसलिए उस खाली फ्लेट को देखकर वह रोज सोचती थी कि यदि उस फ्लेट में कोई रहने आ जाए तो बस मजा ही आ जाएगा। बाल्कनी में ही खड़े खड़े कितनी सारी बातें हो जाएगी।
एक दिन उसने उस फ्लेट में कुछ हलचल देखी। उस फ्लेट की बाल्कनी का दरवाजा खुला था लेकिन परदे डले हुए थे। पर्दो के बीच के गेप से उसे लग रहा था कि अंदर कुछ लोग हैं। उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी। वह बार बार किसी ना किसी बहाने से बाल्कनी में आकर देखती थी, लेकिन कोई दिखाई नहीं दे रहा था। शाम को जब वो फिर से देखने आई तो, उसे बाल्कनी का दरवाजा पहले की तरह बंद दिखा। लाइट भी अॉफ ही थी। उसका मन मुरझा गया क्योंकि उसे उम्मीद थी कि कोई रहने आ रहा है।
दूसरे दिन भी ऐसा ही हुआ। लेकिन कोई दिखाई नहीं दिया। लेकिन आज परदा जरा सा ज्यादा सरका हुआ था तो दीपा गौर से अंदर झांककर लगी। तभी उसे लगा कि किसी ने उसके कानों में फुसफुसा कर कहा कि “किसे देख रही हो?”
वह एकदम सकपका गई। घर में तो कोई नहीं था तो उसे लगा कि शायद उसे आभास हुआ है। और वह वापस अंदर आने के लिए मुड़ती है। तभी उसे सामने की बाल्कनी में उसी की हमउम्र एक सुंदर सी महिला दिखाई दी। तो वह वहीं पर रुक जाती है। दीपा उससे बात करना चाहती थी लेकिन वह महिला बस एक मिनट रूकी और दीपा को इग्नोर करके वापस अंदर चली गई। रवी दो दिन के लिए टूर पर गया था, और जब वह टूर पर जाता था तो दीपा रात को काफी देर तक टीवी पर हॉरर फिल्में देखती थी। क्योंकि रवी को उसका हॉरर फिल्में देखना बिल्कुल भी पसंद नहीं था।
उस रात भी वह जाग रही थी। उसने देखा कि रात भर उस सामने वाले घर की लाइट जलती रही। यानी यह पक्का था कि उस घर में कोई रहने आ गया था। दीपा ने रवी को उस फ्लैट के बारे में बताया था लेकिन रवी इतना व्यस्त रहता था कि वह दीपा की अधिकांश बातों को इग्नोर कर देता था।
सुबह दीपा उठी तो देखा कि वह महिला बाल्कनी में चाय का कप लेकर खड़ी थी। दीपा से उसकी नजर मिली तो वह मुस्कुराई। दीपा ने भी मुस्कुराकर जवाब दिया। फिर थोड़ी बहुत बातचीत के बाद वह महिला अंदर चली गई। दीपा को बस यह समझ में आया कि वह महिला अकेली रहती है और यह उसी का फ्लेट है। शाम को दिखने के बाद दीपा ने उसे अपने घर पर बुला लिया और वह महिला आ भी गई। उसका नाम करुणा था। दीपा और करुणा बहुत देर तक बातें करते रहे। करुणा ने दीपा से कहा कि रात को उसके घर पर उसकी चार सहेलियां आने वाली है, एक छोटी सी पार्टी होगी। तो वो भी आ जाए, लेकिन रवी नहीं था इसलिए उसने मना कर दिया। फिर कभी ऐसा कहकर करुणा चली गई।
रात भर करुणा के घर पर पार्टी चलती रही। सबने मिलकर खूब हंगामा किया। दीपा को भी यह सब बहुत अच्छा लगता था, इसलिए रवी का इसी समय टूर पर जाना उसे अखर गया। वह अपने हॉल में बैठे हुए ही उनकी पार्टी देख रही थी। पार्टी में बस नॉनवेज था और वे सब शराब पर शराब ही पी रही थी।
तभी अचानक उसने देखा कि उन पांचों में से एक महिला बाल्कनी में आकर डांस करने लगती है, उसके एक हाथ में शराब का बड़ा ग्लास और दूसरे हाथ में कच्चे मांस का एक बड़ा सा तुकडा था, वह बड़ी ही विभत्सता से उसे खिंच खिंच कर खा रही थी। उस मांस में से खून भी टपक रहा था मानो अभी ताजा मांस हो। तभी अंदर से दूसरी महिला अजीबोगरीब आवाजें निकालते हुए बाहर आई और उससे मांस का तुकडा छिनने लगी, इस पर दोनों एक दूसरे पर गुर्राते हुए बुरी तरह हाथापाई करने लगी। तभी बाकी सब भी बाहर आती हैं और उनमें से एक को मांस का तुकडा देती है। उनके हाथों में भी खून से लथपथ मांस के बड़े तुकडे थे, वे सब भी भद्दे तरीके से मांस खा रही थी। दीपा दिल थामकर वह नजारा देख रही थी। तभी उसे अपने कंधे पर किसी के हाथ का बर्फ की तरह थंडा स्पर्श महसूस हुआ। उसने घबराकर पलट कर देखा तो वह करुणा थी। उसका चेहरा मुंह सब खून से लथपथ था। वह बहुत ज्यादा भयानक दिख रही थी। उसे देखकर दीपा पूरी ताकत से जोर से चिखने लगती है और नींद से जाग जाती है, यानी कि यह एक बुरा सपना था।
सुबह वह रवी के आने के बाद उसको अपने सपने के बारे में बताती है तो वह उसी को डांटता है कि वह भूतिया फिल्में देखना बिल्कुल बंद कर दे। यह उसी का नतीजा है। और वह ऑफिस चला जाता है। लेकिन दीपा को बहुत ज्यादा बेचैनी हो रही थी, उसे लग रहा था कि वह सपना नहीं था। कुछ तो और ही बात है।
दिन भर उसे करुणा कहीं दिखाई नहीं दी। शाम को रवी का फोन आता है कि उसे फिर से टूर पर जाना है तो उसका बेग भर कर रखें वह बेग लेते ही निकल जाएगा और ऐसा ही हुआ। रवी टूर पर चला गया।
दीपा पहले बिल्कुल भी डरती नहीं थी लेकिन कल के सपने के बाद से उसे बहुत ज्यादा डर लग रहा था। उसकी बाल्कनी में जाने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी। वह बाल्कनी के परदे डालकर हॉल में ही टीवी लगाकर बैठ गई। तभी उसे लगा कि उसके बाजु में कोई बैठा है, उसने चेहरा घुमाकर देखा तो उसके पैरों तले की जमीन निकल गई। उसके बाजू में करुणा बैठी थी जो उसकी आंखों में झांकते हुए मुस्कुरा कर कह रही थी कि, क्यों आज ताकझाक नही करना है क्या? दीपा जानती थी कि हॉल का दरवाजा तो बंद था फिर करुणा अंदर कैसे आ गई?
वह घबराकर उठकर खड़ी हो गई तो करुणा भी खड़ी हो गई और दरवाजा खोलकर चलने लगी, दीपा भी मंत्रमुग्ध सी मशीन की तरह उसके पीछे पीछे चलते हुए उसके घर में पहुंच गई।
वहां पर करुणा की चारों सहेलियों के साथ और एक और महिला मौजूद थी, उन सभी ने करूणा के साथ दीपा को देखा तो जंगलियों की तरह गंदी आवाज में चिल्लाते हुए कूद कूद कर नाचने लगती है। और कुछ देर तक ऐसे ही नाचने चिल्लाने के बाद वे सब एक साथ दीपा पर झपट पड़ी और उसकी चिरफाड करने लगी। उन्होंने दीपा को मार डाला और उसके शरीर का मांस खाने लगी। तृप्त होने के बाद वे सब शांत हो गई।
अब वे छः की बजाय सात हो गई थी क्योंकि दीपा भी उनमें शामिल हो गई थी। और उन्हीं की तरह चुड़ैल बन गई थी। और अब वे सातो अपनी पार्टी के लिए नया शिकार ढूंढने लगी, जिसे वे अपना पार्टनर बना सकती थी।